संपादकीय

क ऐसे युग में, जहाँ प्रौद्योगिकी हमारे संवाद करने, सीखने और काम करने के तरीकों को आकार दे रही है, लोकतांत्रिक मूल्यों पर इसका प्रभाव अकाट्य हो गया है। नवाचार और नागरिक जीवन के इस संगम पर, जहाँ भागीदारी को व्यापक बनाने के विशाल अवसर हैं, वहीं सावधानीपूर्वक चिंतन की माँग करने वाली चुनौतियाँ भी मौजूद हैं। जब दूरदर्शिता और जिम्मेदारी से निर्देशित किया जाता है, तो प्रौद्योगिकी समावेश और राष्ट्रीय विकास में एक सहभागी बन जाती है।

आज की डिजिटल प्रणालियाँ लोकतंत्र के स्तंभों—पारदर्शिता, जवाबदेही, और सार्वजनिक भागीदारी—को मज़बूती प्रदान करती हैं। नागरिक वास्तविक समय में चर्चाओं में शामिल हो सकते हैं, अपने विचारों को व्यापक रूप से साझा कर सकते हैं, और शासन के मामलों पर पहले से कहीं अधिक करीब से नज़र रख सकते हैं। जानकारी तक आसान पहुँच व्यक्तियों को सूचित विकल्प बनाने और सार्वजनिक मुद्दों में अधिक सार्थक तरीके से जुड़ने के लिए सशक्त बनाती है।

जैसे-जैसे डिजिटल सेवाएँ बढ़ रही हैं, शासन स्वयं परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, इलेक्ट्रॉ­निक सेवा वितरण, और नागरिक बातचीत के लिए आधुनिक उपकरण सार्वजनिक प्रणालियों को अधिक उत्तरदायी और कुशल बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। ये समाधान देरी को कम करते हैं, मनमाने विवेक पर रोक लगाते हैं, और प्रशासन को लोगों के निकट लाते हैं।

फिर भी, इन प्रगतियों के साथ नई चुनौतियाँ भी आती हैं। गलत सूचना, साइबर जोखिम, और असमान डिजिटल पहुँच उस विश्वास के लिए ख़तरा पैदा करते हैं जो नागरिकों को संस्थानों से जोड़ता है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि व्यक्तिगत डेटा को ज़िम्मेदारी से और व्यक्तिगत गरिमा के प्रति सम्मान के साथ संभाला जाना चाहिए। यह स्पष्ट संचार, सुरक्षित डेटा प्रबंधन, और ऐसे तंत्रों को बढ़ावा देता है जो नागरिकों को उनकी जानकारी पर अधिक नियंत्रण प्रदान करते हैं। हालाँकि यह कोई संपूर्ण समाधान नहीं है, लेकिन यह डिजिटल क्षेत्र में सार्वजनिक विश्वास को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह सुनिश्चित करना कि प्रौद्योगिकी सभी को लाभ पहुँचाए, एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बनी हुई है। व्यापक कनेक्टिविटी, डिजिटल साक्षरता, और समावेशी डिज़ाइन के माध्यम से डिजिटल विभाजन को पाटना सार्थक भागीदारी के लिए अनिवार्य है। हर नागरिक, उसके भूगोल या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, डिजिटल सेवाओं तक पहुँचने और ऑनलाइन अपने अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम होना चाहिए।

उतना ही महत्वपूर्ण है हमारे सूचना पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास को पोषित करना। मीडिया साक्षरता को बढ़ावा देना, तथ्य-जाँच (फ़ैक्ट-चेकिंग) पहल का समर्थन करना, और प्लेटफ़ॉर्म की ज़िम्मेदारी को मज़बूत करना सार्वजनिक संवाद को विकृति से बचाने में मदद कर सकता है।

इस यात्रा के मूल में डेटा गोपनीयता और सुरक्षा निहित है। चूँकि संस्थान व्यक्तिगत जानकारी की बढ़ती मात्रा एकत्र करते हैं, इसलिए मज़बूत सुरक्षा उपाय और ज़िम्मेदार डेटा प्रथाएँ आवश्यक हैं—न केवल कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बल्कि उस विश्वास को कायम रखने के लिए भी जो नागरिक सार्वजनिक प्रणालियों में रखते हैं।

डी.पी.डी.पी. अधिनियम का लक्ष्य एक ऐसे डिजिटल भविष्य का निर्माण करना है जो न केवल कुशल हो, बल्कि अडिग सत्यनिष्ठा पर भी आधारित हो। इन्फॉर्मेटिक्स के इस अंक में शासन में साइबर सुरक्षा और गोपनीयता पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण लेख शामिल है, जो पाठकों को रक्षात्मक सुरक्षा उपायों और सक्रिय डेटा संरक्षण रणनीतियों के अभिसरण से परिचित कराता है। आइए, हम सभी इस ज़िम्मेदारी को अपनाएँ और वैश्विक स्तर पर डिजिटल शासन के लिए एक मानदंड स्थापित करें।

हमें अत्यंत हर्ष है कि इन्फॉर्मेटिक्स का यह पहला, पूर्ण-हिंदी संस्करण—पूरी तरह इन-हाउस तैयार—आपके समक्ष प्रस्तुत है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि का श्रेय हम महानिदेशक (एनआईसी) की सक्रिय रुचि और निरंतर प्रोत्साहन को देते हैं। हम आशा करते हैं कि आपको यह अंक उपयोगी और ज्ञानवर्धक लगेगा।

-प्रधान संपादक

Editorial Author
July Issue Cover 2025